Description
दक्षिण भारत में सामाजिक न्याय की लड़ाई जिन महापुरुषों ने लड़ी, उनमें अय्यंकालि का योगदान अन्यतम है. दलित समाज को रूढ़ियों से मुक्त करने, सड़क से लेकर विधानसभा तक में उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ने में वे सदैव आगे रहे. पेरियार ने शूद्रातिशूद्रों को स्वतंत्र पहचान दिलाने के लिए जो काम तमिल नाडु में किया, अय्यंकालि उसकी शुरुआत पेरियार से भी पहले, केरल में कर चुके हैं. कर्नल तिलक राज द्वारा अत्यंत रोचक शैली में लिखी गई यह पुस्तक, उस विलक्षण महापुरुष के जीवन से परचाने वाली हिंदी में कदाचित अकेली पुस्तक है.
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