Description
‘दंगे में औरत’ उदीयमान कवियित्री डॉ. श्रद्धा का दूसरा कविता संग्रह है. यह किसी से छिपा नहीं कि दंगे तबाही लाते हैं. मनुष्यता को लांछित करते हैं. मगर स्त्री को विशेष रूप से कहीं अधिक नुकसान उठाना पड़ता है.
डॉ. श्रद्धा ने समाज और स्त्री जीवन की उन विसंगतियों को अपनी कविताओं में जगह दी है, जो आमतौर पर जनसामान्य की निगाह से ओझल हो जाती है. लेकिन जिनपर ध्यान दिया जाना, मनुष्यता की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है.
उम्मीद है, पाठक इसका स्वागत करेंगे.
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