Description
बलराम अग्रवाल हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार हैं. यूं तो उन्होंने कहानी, कविता, नाटक, बालसाहित्य, समीक्षा, आलोचना सहित हिंदी की लगभग सभी विधाओं में लिखा है. यहां तक पत्र—पत्रिकाओं का संपादन भी किया, किंतु उनकी मुख्य पहचान लघुकथाकार की ही बनी. उन्होंने भी इस पहचान को बनाए रखने में कोई कोर—कसर न छोड़ी. आज भी वे हिंदी के सर्वाधिक सक्रिय लघुकथाकारों में गिने जाते हैं. उनकी लघुकथाओं में एक दार्शनिक भाव रहता है. उससे रचना जितनी भौतिक जगत में विस्तार लेती है, उतनी ही मनोजगत में भी गतिमान रहती है. एक अच्छे रचनाकार की विशेषता भी यही है.
उनका प्रस्तुत लघुकथा संग्रह, न केवल सामान्य पाठकों, बल्कि विद्यार्थियों, शोधकर्मियों और नवोदित लघुकथाकारों के लिए उतना ही आवश्यक है.
दि पेनमेन
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