Description
डॉ. मनराज शास्त्री पेशे से अध्यापक, विचारों से प्रगतिशील सामाजिक कार्यकर्ता और चिंतक थे. अर्जक संघ और डॉ. रामस्वरूप वर्मा की वैचारिकी में विश्वास रखने वाले शास्त्री देश में सामाजिक—आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर चल रहे परिवर्तनों को बहुत करीब से देख रहे थे. पुस्तक में उनकी समय—समय पर की गई टिप्पणियां और कविताएं हैं जो आकार में लघु होने पर भी मारक और प्रभावशाली हैं.
उम्मीद है पेनमेन के पाठकों को यह प्रयास पसंद आएगा.
डॉ लाल रत्नाकर –
मनराज शास्त्री जी का अवसान का कोरोना वैश्विक आपदा के चलते 16
अप्रेल 2021 को बहुत ही विषम परिस्थितियों में हुआ था। यह दिन इस सदी
का ऐसा दिन साबित हुआ जो एक क्रांतिधर्मी के लिए हार जाने का दिन
था।
यह पुस्तक इसलिए उद्देश्यपूर्ण है, क्योंकि कि डॉ. मनराज शास्त्री जी विविध
प्लेटफार्मों से समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ प्रामाणिक आधार के साथ
जागरूकता फैलाने के साथ साथ, पूरे देश में अनेक संगठनों के साथ जुड़े
रहे। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले आयोजनों में उन संगठनों के
बुलावे पर नियमित रूप से सक्रिय रहे हैं। उनके अनेक लेख, वक्तव्य अनेक
माध्यमों में मौजूद हैं, जिन्हें अलग से प्रकाशित करने की योजना है। हमने
इस पुस्तक में उनके विचारों को वहीं से संग्रहित करने का प्रयास किया है।
उनके विचार सोशल मीडिया पर केवल मनोविनोद के लिए नहीं होते थे। वे
अपने समय के गंभीर मसलों के दस्तावेज हैं। इसलिए उनके सामाजिक,
सांस्कृतिक और विविध विषयों पर लिखे गए लेखों से पहले उनके इन विचारों
को लोगों के सम्मुख लाने का एक ऐसा प्रयास है जो उन सुधीजनों तक
पहुंचे जिन्हें विचारों की जरूरत है।
उनकी सक्रियता उनके अपने फेसबुक पेज पर 11 अप्रैल 2021 तक रही है,
ऐसा जब उनके फेसबुक पर जाकर पता चला। क्योंकि उनसे मेरी बातचीत
10 अप्रै 2021 तक होती रही। वह सर्दी-जुकाम की बात करते रहे और
ठीक होने की उम्मीद में वह हमेशा कहते रहे।