Description
शशिकांश सिंह ‘शशि’ की गिनती हिंदी के वरिष्ठ व्यंग्यकारों में होती है. पर जो बात उन्हें विशिष्ट बनाती है, वह है समसामयिक सरोकारों के प्रति उनका साहसपूर्ण नजरिया. समस्या चाहे किसानों की हो, राजनीतिक मूल्यों के स्खलन की हो, बढ़ती सांप्रदायिकता या फिर अथवा लेखकों/साहित्यकारों की पुरस्कार लोलुपता की हो, कोई उनके प्रहार से बच नहीं पाया है.
इस पुस्तक में उनकी 35 धारदार व्यंग्य रचनाएं सम्मिलित हैं.