Description
“बालमनोविज्ञान के पारखी ओमप्रकाश कश्यप की यह पुस्तक कई मायनों में अनूठी है. यह न केवल अच्छे बालसाहित्य की विशेषताओं को रेखांकित करती है, अपितु बालक के समाज और उसके माता-पिता के अलावा तेजी से बदल रहे परिदृश्य, बालक की इच्छा, आकांक्षा, सपनों और समस्याओं से भी संवाद करती है.
पुस्तक न केवल बालसाहित्य के लेखकों तथा सामान्य पाठकों के लिए उपयोगी है, अपितु बालसाहित्य के क्षेत्र में शोध कर रहे विद्यार्थियों के लिए भी इसमें भरपूर सामग्री है.”
बालक आज परिवार के केंद्र में है
, लेकिन बचपन को हम कितना समझते हैं, यह बात दावे के साथ नहीं कही जा सकती. ‘बचपन और बालसाहि त्य के सरोकार’ साहित्य और बा लमनोविज्ञान के अंतर्संबंधों को समझने की कुंजी है. पुस्तक के वल बालक के लिए अच्छे साहित्य की आवश्यकता को ही चिन्हित नहीं करती, अपितु बालमन की गुत्थियों को समझने में भी मदद करती है. अभिभावकों, विद्यार्थियों से ले कर अकादमिक दुनिया से जुड़े वि द्वानों के लिए यह एक जरूरी पु स्तक है.
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