Description
‘प्रोफेसर’ पुराण को पढ़ना अपने
आप में विरल अनुभव है. इसका कार ण उपन्यास की विषय-वस्तु नहीं है . शैक्षिक जगत में व्याप्त भ्रष्टा चार पर उससे पहले भी व्यंग्यका रों की नजर थी. जो चीज इसे खास बनाती है, वह है लेखक की शैली. नए और मौलिक उपमानों के माध्यम से कटाक्ष करने की कला. व्यंग् यकार ने उपमानों का प्रयोग जिस रचनात्मक कौशल के साथ किया है, ‘रागदरबारी’ को छोड़कर, हिंदी व्यंग्य में दूसरा उदाहरण शायद ही हो.
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