Description
लोकतंत्र में राज्य की सफलता उसकी कल्याण कारी भूमिका से आंकी जाती है. कल्याणकारी होना न्याय के साथ होना है. किंतु न्याय क्या है. इस विषय पर पिछले ढाई हजार वर्षों से विचार होता आया है. गौतम बुद्ध से लेकर प्लेटो और अरस्तु, आधुनिकतम विद्वानों में जॉन रॉल्स सभी ने न्याय को परिभाषित किया है.
प्रस्तुत पुस्तक राज्य की विचलनकारी शक्तियों की ओर संकेत करने के साथ-साथ न्याय के विविध रूपों की भी विवेचना करती है. 470 पृष्ठों की डिजीटल पुस्तक को मात्र 170 रुपये में पढ़ा जा सकता है,
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