Description
प्रो. अशोक शुक्ल समग्र के इस खंड में उनके दो लघु व्यंग्य उपन्यास सम्मिलित हैं, ‘सेवामीटर’ और ‘हो गया साला भंडारा!’ सेवामीटर राजनीति क्षेत्र में व्याप्त विसंगतियों पर कटाक्ष करता है, जबकि दूसरे उपन्यास का फलक समाज, संस्कृति, धर्म और राजनीति तक फैला हुआ है. उपन्यासों में व्यंग्यकार ने जिन स्थितियों को निशाना बनाया है, वे आज भी बदली नहीं हैं. बल्कि पहले से कहीं अधिक भयावह हैं. इसलिए ये रचनाएं जितनी उस दौर में प्रासंगिक थीं, उतनी बल्कि उससे कहीं अधिक, आज प्रासंगिक हैं.
इस उपन्यास-द्वयी को पाठकों को सौंपते हुए हम उत्साहित हैं. उम्मीद है कि पाठक भी पूरे जोशो-खरोश के साथ इनका स्वागत करेंगे.
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