क्षितिज से आगे जहाँ और भी है : कहानी संग्रह – रवीन्द्र कान्त त्यागी

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क्षितिज से आगे जहाँ और भी है : कहानी संग्रह – रवीन्द्र कान्त त्यागी

Description

क्षितिज से आगे जहाँ और भी है

कहानी संग्रह – रवीन्द्र कान्त त्यागी

“कूलर….पलंग…. पंखा….और….और आदमी. आदमी हो जाए पुराना, कबाड़, स्क्रैप बन जाए आदमी…. किसी काम का न रहे तो….उसको भी खरीदते हो क्या?” उनकी आवाज आर्द्र और आँखें नम हो गईं.
…..
“खरीदता है साहब. पुराना आदमी भी लेता है साहब.”
“बकवास बंद करो. पुराना आदमी खरीदेगा. अच्छा बता….क्या देगा थके-हारे, स्क्रैप हो गए कबाड़ आदमी का?”
“दो वक्त की इज्जत की रोटी देगा साहब….” (इसी पुस्तक से)

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Authors

Ravindra Kant Tyagi

Format

Digital

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